Friday, June 18, 2021

VAN DE GRAAFF GENERATOR

 VAN DE GRAAFF GENERATOR

(वानडे ग्राफ जनित्र)


v  Described Construction and working principle of Van De Graaff Generator with diagram.

(वानडे ग्राफ जनित्र की संरचना तथा कार्यविधि चित्र की सहायता से समझाइए।) 

 Ans.

प्रोफेसर वानडे ग्राफ ने सन् 1931 में एक ऐसे स्थिर वैद्युत उत्पादक यन्त्र (electrostatic generator) की रचना की जिसके द्वारा दस लाख वोल्ट या इससे भी उच्च कोटि का विभवान्तर उत्पन्न किया जा सकता है। इस जनित्र को उनके नाम पर ही वानडे ग्राफ जनित्र कहते हैं।

(Professor Van de Graaff in 1931 designed such an electrostatic generator, by which a potential difference of one million volts or more can be generated. This generator is called Van de Graaff generator after his name.)

Working Principle (सिद्धान्त)

Van de Graaff Generator is an electrostatics device , which work mainly two principle:

1.     Corona Discharge:  (कोरोना रिसाव or Leakage):

A corona discharge is an electrical discharge caused by the ionization of a fluid such as air surrounding a conductor carrying a high voltage.

(एक कोरोना डिस्चार्ज एक विद्युत निर्वहन है जो एक उच्च वोल्टेज वाले कंडक्टर के आसपास हवा के आयनीकरण के कारण होता है)

1.       Accumulation of charge on outer sphere (बाहरी गोले पर आवेश का संचय):

Total charge comes at outer surface sphere-

Construction (संरचना)

 

VAN DE GRAAFF GENERATOR -NPC BHAGALPUR-ER AJIT SIR 

चित्र में वानडे ग्राफ जनित्र की रचना प्रदर्शित है। इसमें लगभग 5 मीटर व्यास के धातु का खोखला गोला S होता है जो लगभग 15 मीटर ऊँचे विद्युतरोधी स्तम्भों A B पर टिका रहता है। P1 और P2 दो घिरनियाँ होती हैं जिनमें से होकर विद्युतरोधी पदार्थ; जैसे-रबर या रेशम की बनी एक पट्टी (belt) गुजरती है। नीचे की घिरनी P को एक वैद्युत मोटर के द्वारा घुमाया जाता है जिससे पट्टी ऊध्र्वाधर तल में तीर की दिशा में घूमने लगती है। C1 और C2 धातु की दो कंघियाँ होती हैं। C1 को फुहार कंघी (spray comb) तथा C2 को संग्राहक कंघी (collection comb) कहते हैं। कंघी C1 को एक उच्च विभव की बैटरी के धने सिरे से जोड़ दिया जाता है ताकि वह लगभग 10000 वोल्ट के पृथ्वी धनात्मक विभवे पर रह सके। कंघी C2 को गोले S के हैं आन्तरिक पृष्ठ से जोड़ दिया जाता है। D एक विसर्जन-नलिका (discharge tube) है। चित्र  गोले से आवेश के क्षरण (leakage) को रोकने के लिए जनित्र को एक लोहे के टैंक में जिसमें दाब युक्त (लगभग 15 वायुमण्डलीय दाब) वायु भरी होती है, बन्द कर देते हैं। लोहे का टैंक पृथ्वीकृत होता है।

(The construction of the Vande graph generator is shown in the figure. It consists of a hollow metal sphere S of about 5 meters in diameter, which rests on insulating pillars A and B about 15 meters high. P1 and P2 are two pulleys through which an insulating material is passed; For example, a belt made of rubber or silk passes through. The lower pulley P is rotated by an electric motor so that the bar starts rotating in the vertical plane in the direction of the arrow. C1 and C2 are two metal combs. C1 is called spray comb and C2 is called collection comb. Comb C1 is connected to the positive end of a high potential battery so that it can remain at earth positive potential of about 10000 volts. The comb C2 is attached to the inner surface of the sphere S. D is a discharge tube. To prevent leakage of charge from the image sphere, the generator is placed in an iron tank in which the pressure Contains (about 15 atmospheric pressure) air is filled, they close. The iron tank is earthized.)


v Working Method (कार्यविधि)

जब कंघे C1 को अति उच्च विभव दिया जाता है, तो तीक्ष्ण बिन्दुओं की क्रिया के फलस्वरूप यह इसके स्थान में आयन उत्पन्न करता है। धन आयनों कंघे C1 के बीच प्रतिकर्षण के कारण ये धन आयन बेल्ट पर चले जाते हैं। गतिमान बेल्ट द्वारा ये आयन ऊपर ले जाए जाते हैं। C2 के तीक्ष्ण सिरे बेल्ट को ठीक छूते हैं। इस प्रकार कंघा C2 बेल्ट के धन आवेश को एकत्रित करता है। यह धन आवेश शीघ्र ही गोले S के बाहरी पृष्ठ पर स्थानान्तरित हो जाता है। चूंकि बेल्ट घूमती रहती है, यह धन आवेश को ऊपर की ओर ले जाती है जो कंघे C2 द्वारा एकत्रित कर लिया जाता है तथा गोले S के बाहरी पृष्ठ पर स्थानान्तरित हो जाता है। इस प्रकार गोले S का बाहरी पृष्ठ निरन्तर धन आवेश प्राप्त करता है तथा इसका विभव अति उच्च हो जाती है। जब गोले S का विभवे बहुत अधिक हो जाता है, तो निकटवर्ती वायु की परावैद्युत तीव्रता (dielectric strength) टूट जाती है तथा आवेश का निकटवर्ती वायु में क्षरण (leakage) हो जाता है। अधिकतम विभव की स्थिति में आवेश के क्षरण होने की दर गोले पर स्थानान्तरित आवेश की दर के बराबर हो। जाती है। गोले से आवेश का क्षरण रोकने के लिए, जनित्र को पृथ्वी से सम्बन्धित तथा उच्च दाबे पर वायू भरे टैंक में रखा जाता है।

(When comb C1 is given a very high potential, it generates ions in its place as a result of the action of the sharp points. These positive ions move to the belt due to the repulsion between the positive ions and comb C1. These ions are carried up by the moving belt. The sharp ends of C2 touch the belt exactly. Thus comb C2 collects the positive charge of the belt. This positive charge is soon transferred to the outer surface of the sphere S. As the belt continues to rotate, it moves the positive charge upward which is collected by comb C2 and transferred to the outer surface of the sphere S. Thus the outer surface of the sphere S receives constant positive charge and its potential becomes very high. When the potential of the sphere S becomes very high, the dielectric strength of the surrounding air breaks down and the charge leaks into the surrounding air. In the case of maximum potential, the rate of loss of charge is equal to the rate of transfer of charge to the sphere. She goes. To prevent corrosion of charge from the sphere, the generator is placed in a tank filled with air at high pressure, relative to the earth.)

v Uses (उपयोग) :

वानडे ग्राफ जनित्र धन आवेशित कणों को अति उच्च वेग तक त्वरित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।(The Van de Graaff generator is used to accelerate positively charged particles to very high velocities.)

वानडे ग्राफ जनित्र के उपयोग निम्नलिखित (Following are the uses of Van de graaff generator) 

1. उच्च विभवान्तर उत्पन्न करने के लिए  (To produce high potential difference)- 106 Volt

 2. तीव्र एक्स किरणों के उत्पादन में (n the production of intense X rays)

 3. नाभिकीय विघटन के प्रयोगों में आवेशित कणों (प्रोटॉन, ड्यूट्रॉन तथा α कण आदि) को उच्च गतिज ऊर्जा प्रदान करने में (In providing high kinetic energy to charged particles (protons, deutrons and α particles etc.) in nuclear disintegration experiments)

 4. नाभिकीय भौतिकी के अध्ययन में इसका उपयोग कण त्वरक (particle accelerator) के रूप में किया जाता है।(It is used as a particle accelerator in the study of nuclear physics.)

v  Demerit (दोष)-  वानडे ग्राफ जनित्र के दोष निम्नवत् हैं-  (The following are the demerit of Van de Graaff Generator-)

1. इसके आकार के बड़ा होने के कारण इसका उपयोग असुविधाजनक होता है।  (Due to its large size, its use is inconvenient.)

2. उच्च विभव के कारण इसको उपयोग खतरनाक होता है।(It is dangerous to use due to high potential.)

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